Tuesday 21 May 2013

ख्वाबो की मंजिल


 

ख्वाब था एक  तु
जिसे  हकीकत बनाया था तुने 

अधूरी सी ख्वाइश था तु 
जिसे पुरा किया तुने 

एक एक पल की जिंदगी तु था
जिसे दिया था मुझे तुने 

हर एक वो निवाला खाने का तेरा 
जिसमे प्यार डाला था तुने 

एक लम्बे सफ़र का साथी तु था 
जिसकी शुरूआत की थी तुने 

और एक दिन ख्वाब टूट गया 
जिसे मैने नाज़ो से पाला था 

एक और ख्वाइश टूट गयी 
जिसे मैने दिल से चाही थी 

कहा  खुट गयी वो जिंदगी 
जिसे मैने जीना सीखा था 

कब रेह गया वो खाना ऐसे ही 
जिसे मैने प्यार से परोसा था 

लम्बा सा वो सफ़र छुट गया राहों में ही 
जिसे मैने मंजिल का रास्ता समजा था

और आज जब निगाहे रस्ते पे है तो
लगता  है की तु और मै ही छूट गए है रस्ते तो वोही है



   

Oh yes, I have a choice!!

The day started already?? yes, my dear - your beloved kitchen!!  Let me complete my exercise!! yes, my dear - your breakfast serving time!! ...